थायराइड क्या है? इसके कारण, आयुर्वेदिक उपचार और घरेलु नुस्ख़े

थायराइड क्या है?

थायराइड एक ऐसी ग्रंथि है जो हमारे शरीर में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह ग्रंथि गले के हिस्से में स्थित होती है और शरीर के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने का कार्य करती है। इस ग्रंथि के द्वारा उत्पन्न होने वाले हार्मोन शरीर की ऊर्जा की आवश्यकता, शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और अन्य महत्वपूर्ण शारीरिक क्रियाओ में अपनी अहम् भूमिका निभाते है| थायराइड रोग की समस्या आजकल बहुत ही सामान्य हो गई है और यह बीमारी दुनियाभर के लोगो को प्रभावित करती है|

थायराइड रोग कैसे होता है?

थायराइड रोग तब होता है जब थायराइड ग्रंथि, जो गले में स्थित होती है, सही तरीके से हार्मोन का उत्पादन नहीं करती है। यह ग्रंथि शरीर के मेटाबोलिज्म को नियंत्रित करने वाले हार्मोन, जैसे थायरोक्सिन (T4) और ट्राई-आयोडोथायरोनिन (T3), का उत्पादन करती है। जब यह हार्मोन अधिक (Hyperthyroidism) या कम (Hypothyroidism) बनते हैं, तो यह शरीर के विभिन्न कार्यों को प्रभावित करता है। थायराइड रोग के मुख्य कारणों में आनुवांशिकी, आयोडीन की कमी, हार्मोनल असंतुलन, आटोइम्यून बीमारियाँ जैसे हाशिमोटो थायरायडिटिस, और कुछ दवाओं का सेवन शामिल हैं। यह रोग अधिकतर महिलओं को प्रभावित करता है और यह विशेष रूप से गर्भावस्था या मेनोपॉज के दौरान बढ़ सकता है| 

थायराइड क्या है? और इसका आयुर्वेदिक उपचार क्या है:

थायराइड कितने प्रकार के होते है?

1. हाइपोथायरायडिज़्म (Hypothyroidism):

यह स्थिति तब होती है जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त हार्मोन को उत्पन्न नहीं करती है। इससे शरीर में ऊर्जा की कमी होती है और मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप थकावट, वजन बढ़ना, त्वचा की समस्याएँ, अवसाद और अन्य समस्याओ को उत्पन्न करता हैं।

2. हाइपरथायराइडिज्म (Hyperthyroidism):

यह स्थिति तब होती है जब थायराइड ग्रंथि अत्यधिक हार्मोन का उत्पादन करती है। इससे शरीर के मेटाबोलिज्म की गति तेज हो जाती है और शरीर में ऊर्जा का असंतुलन हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप वजन का घटना, अत्यधिक पसीना आना, दिल की धड़कन तेज होना, चिंता और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

थायराइड के कारण क्या है?

थायराइड होने के प्रमुख कारण होते है:

  • आनुवांशिक कारण: थायराइड की समस्याएं कुछ हद तक आनुवांशिक हो सकती हैं। अगर आपके परिवार में किसी भी व्यक्ति को यह समस्या है, तो आपको भी इसके होने की अधिक संभावना हो सकती है
  • हार्मोनल असंतुलन: महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण थायराइड की समस्या अधिक होती है, खासकर गर्भावस्था के दौरान, जन्म के बाद, या मेनोपॉज के दौरान।
  • आयोडिन की कमी: आयोडिन थायराइड हार्मोन के निर्माण के लिए आवश्यक होता है। यदि शरीर में आयोडिन की कमी हो तो थायराइड की समस्या हो सकती है।
  • इंफेक्शन और ऑटोइम्यून बीमारियां: कभी-कभी शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही कोशिकाओं पर हमला कर देता है, जिससे थायराइड ग्रंथि प्रभावित हो सकती है।

दवाइयों और उपचार के प्रभाव: कभी-कभी कुछ दवाइयों के कारण भी थायराइड की समस्या उत्पन्न हो सकती है। जैसे, रासायनिक उपचार (कैंसर के इलाज में) या अन्य लंबी अवधि तक ली जाने वाली दवाइयाँ।

 

थायराइड के लक्षण क्या है?

अगर आपको भी यह की समस्या है तो इसके आपके शरीर में कई तरह के लक्षण देखने को मिलते है| यहाँ हम आपको दोनों प्रकार के लक्षणों के बारे में बतायेंगे, जिससे आपको इसे पहचानने में सहायता प्राप्त होगी| 

हाइपोथायरायडिज़्म (Hypothyroidism):

  • थकान और आलस्य
  • वजन बढ़ना
  • त्वचा का सूखा होना
  • बालों का झड़ना
  • शरीर में ठंड का महसूस होना
  • अवसाद और चिंता

हाइपरथायराइडिज्म (Hyperthyroidism):

  • वजन का अचानक कम होना
  • अत्यधिक पसीना आना
  • भूख ज्यादा लगना
  • दिल की धड़कन तेज होना
  • तनाव और चिंता
  • नींद की कमी
  • ज्यादा घबराहट होना 

थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में थायराइड को संतुलन के रूप में देखा जाता है। आयुर्वेदिक उपचार से शरीर के दोषों को संतुलित करके इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। यहां कुछ थायराइड के आयुर्वेदिक उपाय दिए गए हैं:

  • त्रिफला (Triphala): त्रिफला एक प्रसिध्द उपाय है, आयुर्वेद का जो पाचन क्रिया को सुधारने और शरीर से विषेले पदार्थो को निकालने में सहायता प्रदान करता है| यह थायराइड के लक्षणों को नियंत्रण करने में मदद करता है|
  • अश्वगंधा (Ashwagandha): अश्वगंधा एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो थायराइड के हार्मोन के उत्पादन को संतुलित करती है। यह शरीर में ऊर्जा की कमी को दूर करता है और तनाव को भी कम करता है।
  • गोल्डनसील (Goldenseal): यह एक आयुर्वेदिक हर्बल दवाई है जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है और थायराइड से संबंधित समस्याओं को कम करती है। यह शरीर के भीतर हर स्तर पर बैलेंस बनाने में मदद करती है।
  • कच्छू (Kachura): कच्छू एक आयुर्वेदिक औषधि है जो थायराइड के कार्य को सुधारने के लिए उपयोगी होती है। यह थायराइड के लिए बेहद प्रभावी मानी जाती है।
  • शतावरी (Shatavari): यह हर्बल जड़ी-बूटी महिला हार्मोन को संतुलित करने के लिए अत्यंत प्रभावी है। यह थायराइड की समस्याओं में भी सहायता करती है और शरीर को संतुलित बनाए रखती है।

थायराइड के कुछ घरेलू नुस्खे

  • आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें: आयोडीन थायराइड के इलाज के लिए जरूरी तत्व है। इसलिए समुद्री शैवाल, नमक, दही, दूध और अन्य आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  • नारियल तेल का प्रयोग: नारियल तेल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में मदद करते हैं। यह थायराइड के कार्य को सुधारने में सहायक हो सकता है।
  • शहद और अदरक: शहद और अदरक का मिश्रण शरीर में थायराइड हार्मोन के उत्पादन को संतुलित करने में मदद कर सकता है। अदरक में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो थायराइड की समस्याओं को कम करने में मदद करते हैं।
  • तुलसी के पत्ते: तुलसी के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो थायराइड का इलाज करने में मदद करते हैं। प्रतिदिन 2-3 तुलसी के पत्ते चबाकर खाने से थायराइड के लक्षणों में राहत मिल सकती है।
  • नींबू पानी: नींबू पानी शरीर के पाचन तंत्र को सुधारने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। यह शरीर में आयोडीन की कमी को भी पूरा करता है, जिससे थायराइड की समस्या में कमी आ सकती है।
  • मेथी दाना: मेथी दाना शरीर के मेटाबोलिज्म को संतुलित करने में मदद करता है। रोज़ सुबह मेथी दाना भिगोकर खाने से थायराइड के लक्षणों में राहत मिल सकती है।

थायराइड के मरीजों के लिए आयोडीन से भरपूर डाइट प्लान:

आयोडीन थायराइड हार्मोन के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। थायराइड के मरीजों को आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे समुद्री मछली, समुद्री शैवाल, आयोडीनयुक्त नमक और दूध आदि का सेवन करना चाहिए।

  • प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं: प्रोटीन शरीर की मरम्मत और ऊर्जा के लिए आवश्यक है। थायराइड के मरीजों को दालें, अंडे, चिकन, मछली, टोफू और दही जैसे प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • फाइबर से भरपूर आहार: थायराइड की समस्या में कब्ज की समस्या भी हो सकती है। इसलिए, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फल, ओट्स और साबुत अनाज का सेवन करें।
  • स्वस्थ वसा का सेवन करें: स्वस्थ वसा जैसे अखरोट, बादाम, अलसी के बीज, और जैतून का तेल थायराइड के कार्य को संतुलित करने में मदद करते हैं।
  • आयरन युक्त आहार: आयरन की कमी से थायराइड की समस्या और बढ़ सकती है। इसलिए हरी पत्तेदार सब्जियाँ, मांसाहार, बीन्स, चुकंदर और सेम का सेवन करें।
  • ग्लूटन और सोया से बचें: थायराइड के मरीजों को ग्लूटन (गेहूं, जौ आदि) और सोया प्रोडक्ट्स से बचना चाहिए, क्योंकि ये थायराइड के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं।
  • पानी का पर्याप्त सेवन करें: शरीर में पानी की कमी से मेटाबोलिज्म धीमा हो सकता है। इसलिए दिनभर में 8-10 गिलास पानी पीने की आदत डालें।
  • कैफीन और शराब से दूर रहें: कैफीन और शराब थायराइड की समस्या को बढ़ा सकते हैं, इसलिए इनसे बचें और इनकी मात्रा को सीमित करें।
  • पौष्टिक नाश्ते का सेवन करें: सुबह का नाश्ता पौष्टिक और हल्का होना चाहिए। ओट्स, फल, अंडे, और ग्रीन टी जैसे विकल्प अच्छे होते हैं।
  • विटामिन D और B12 का सेवन: विटामिन D और B12 की कमी से भी थायराइड की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। सूरज की रोशनी लें और विटामिन D तथा B12 युक्त खाद्य पदार्थ जैसे दूध, पनीर, और अंडे का सेवन करें।

यह डाइट प्लान थायराइड के मरीजों के लिए अपनी सेहत को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है| सही आहार और जीवनशैली को अपनाने से थायराइड की समस्या से नियंत्रित किया जा सकता है| 

निष्कर्ष:

थायराइड की समस्या आजकल बहुत ही ज्यादा आम हो चुकी है, लेकिन इसका सही तरीके से पहचान कर पाना और सही उपचार से इसे नियंत्रण में लाया जा सकता है| आयुर्वेदिक उपचार और घरेलू नुस्खों का उपयोग इस बीमारी के इलाज में बहुत ज्यादा प्रभावी हो सकता है| इसके साथ ही, एक स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से थायराइड रोग को ओर भी बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है| 

अगर आपको थायराइड रोग के लक्षण दिखाई दें, तो किसी डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा बेहतर ही होता है।

 

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