- आयुर्वेदिक दोहे
आयुर्वेदिक दोहे
दोहे की एक शैली है जिसमें आयुर्वेदिक ज्ञान और उपचार के बारे में जानकारी दी जाती है। आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है जो शरीर, मन और आत्मा के संतुलन पर जोर देती है। दोहा एक दो पंक्तियों की कविता होती है, जिसका इस्तेमाल शिक्षा, नीति, और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर संदेश देने के लिए किया जाता है।
आयुर्वेदिक दोहे में आमतौर पर जड़ी-बूटियों, आहार, जीवनशैली, और घरेलू उपचार के महत्व को सरल और सटीक शब्दों में समझाया जाता है। ये दोहे न केवल उपचार के तरीके बताते हैं, बल्कि स्वस्थ जीवन जीने के लिए भी मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
1. रोगी वही जो खाए, बिना भूख के अन्न।
पथ्य भोजन अपनाए, दूर रहेगी व्यथा जन।।
2. नित्य नियम से जागरण, प्रातः काल का ध्यान।
आरोग्य रहे जीवन, मन पावे सुख संधान।।
3. हरी सब्जी जो खाए, और फल का रस पिए।
तन मन स्वस्त रह जाए, रोग न कोई सहे।।
4. आयुर्वेद का ज्ञान ले, संतुलित हो खानपान।
रोग सब दूर हो जाए, जीवन बने आसान।।
5. गर्मी में पिए जल, सर्दी में रखे गर्म।
ऋतु अनुसार जो जीए, आयुर्वेद कहे परम।।
6. नित्य सवेरे उठे, करे योग का ध्यान।
तन मन ताजगी पाए, रोग रहे संतान।।
7. तीखे, चटपटे भोजन से, रहना सदा बचाव।
सादा और सरल भोजन, लाए तन में भाव।।
8. धूप में चले नंगे पांव, पथरी से बचाव।
नित्य नियम से जो चले, रोग से रखे बचाव।।
9. नीम की पत्तियाँ खाए, खून रहे साफ।
त्वचा रोग सब मिटे, दूर रहे जो ताप।।
10. सादा जीवन, उच्च विचार, रखे मन को शांत।
आयुर्वेद का यह मंत्र, दे सुख-शांति का आभास।।
11. पानी पिए भरपूर, प्यास न रहे अधूरी।
किडनी स्वस्थ रहे, चेहरा रहे चमकूरी।।
12. संतुलित आहार जो ले, जीवन में पाए सुख।
आयुर्वेद कहे यही, स्वस्थ रहना है प्रमुख।।
13. ध्यान, योग और प्राणायाम, रखे मन को शांत।
तन और मन स्वस्थ हो, जीवन बने संत।।
14. तेल मालिश करे सदा, तन में शक्ति आवे।
वात दोष मिट जाए, काया स्वस्थ हो जावे।।
15. त्रिफला चूर्ण जो ले, पेट रहे साफ।
कब्ज, एसिडिटी मिटे, तन मन रहे साफ।।
16. गुनगुना पानी पिए, सुबह के समय।
पेट की सारी गंदगी, बाहर हो जाए तम।।
17. रात को जल्दी सोए, सुबह जल्दी उठ।
आयुर्वेदिक यह नियम, दे तन को नया सुत।।
18. दिन में सोना वर्जित, रात्रि को सोए गहरी।
आयुर्वेद कहे यही, जीवन रहे शत-हरी।।
19. अदरक-शहद का सेवन, सर्दी-जुकाम मिटाए।
आयुर्वेद के इस उपाय से, कफ दोष न आए।।
20. हल्दी दूध का सेवन, रोग प्रतिरोधक बढ़ाए।
आयुर्वेद कहे यही, स्वस्थ तन मन पाए।।
21. नित्य करे व्यायाम, शरीर रहे निरोग।
आयुर्वेद का यह मंत्र, दे जीवन संजोग।।
22. भोजन करे चबा-चबा, जल्दबाजी न दिखाए।
पाचन तंत्र स्वस्थ रहे, तन मन सुख पाए।।
23. मेथी के दाने खाए, डायबिटीज मिटाए।
आयुर्वेद के इस उपाय से, जीवन स्वस्थ बनाए।।
24. पेट साफ रखे सदा, रोग नहीं पास आए।
त्रिफला का सेवन करे, पेट तभी साफ हो जाए।।
25. पानी पिए तांबे के, बर्तन से सवेरे।
शरीर से सारे विषाणु, बाहर हो खड़े रे।।
26. नीम-बेसन का लेप, त्वचा को चमकाए।
आयुर्वेद के इस उपाय से, चेहरा निखर जाए।।
27. सादा और सरल भोजन, रखे तन को ठीक।
तला-भुना जो छोड़े, स्वस्थ रहे तन मन भी।।
28. गुणकारी तुलसी पत्तियाँ, रोज सुबह चबाए।
आयुर्वेद का यह उपाय, रोग सब दूर भगाए।।
29. ताजगी का एहसास दे, सौंफ का सेवन।
आयुर्वेद कहे यही, रखे पेट को तंदुरुस्त।।
30. च्यवनप्राश का सेवन, रखे तन को पुष्ट।
आयुर्वेद के इस उपाय से, जीवन बने मस्त।।
31. घी और शहद का संगम, विष के समान।
आयुर्वेदिक यह ज्ञान, रहे सदा ध्यान।।
32. ताजे फल सब खाए, जीवन में पाए रस।
आयुर्वेद के इस नियम से, स्वस्थ रहे हर बस।।
33. मिट्टी के बर्तन में, भोजन पकाए।
आयुर्वेदिक यह तरीका, सेहत में चार चाँद लगाए।।
34. शुद्ध घी का सेवन, बुद्धि को बढ़ाए।
आयुर्वेद कहे यही, तन मन को तरोताजा बनाए।।
35. मसूर की दाल जो खाए, खून बढ़ाए।
आयुर्वेद के इस नियम से, जीवन सुखमय पाए।।
36. खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय।
दूर करेगा अर्श को, जो भी इसको खाय।।
37. दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय।
पथरी केवल बीस दिन, में गल बाहर जाय।।
38. दामिड़ (अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय।
सुबह-शाम जल डाल कम, पी मुँह बदबू जाय।।
39. दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात।
रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो प्रात।।
40. हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय,
पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥
ये दोहे आयुर्वेदिक सिद्धांतों को सरल और संगीतमय भाषा में प्रस्तुत करते हैं, जो जीवनशैली को संतुलित और स्वस्थ बनाने में सहायक होते हैं।
आयुर्वेदिक दोहे हैं
जो हमें स्वस्थ और संतुलित जीवन के मार्गदर्शन करते हैं। ये दोहे हमें विभिन्न पहलुओं में संतुलन बनाए रखने की महत्वता को समझाते हैं, जैसे आहार, व्यायाम, और ध्यान। इन दोहों में आयुर्वेद के अनुसार जीवन के नियमों और सिद्धांतों को समझाने का प्रयास किया गया है। ये दोहे हमें अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए प्रेरित करते हैं। नीचे दिए गए हैं कुछ आयुर्वेदिक दोहे:
1. सर्वमंगलम् भवतु। रोगान् बिधेतु अपहा।
आयुर्वेद: प्रसादेन न सन्तुष्टं कुतो विज्ञानम्।।
2. निदानं च परीक्षा च उपचारस्य लक्षणं।
निदानाद्व्याधिकरणं च रोगाणां यद्यतो हि।।
3. आयुर्वेदस्य योगस्य प्रसादादारोग्यं भवेत्।
सदा स्वस्थं सुखी चासौ सर्वदा शान्तिमाप्नुयात्।।
4. सर्वेन्द्रियविवर्जित्वं स्वप्ननिद्रासमाधिकम्।
आत्मनिग्रह: परिज्ञातो धारणाच्च धर्मस्य यत्र तत्र।।
5. देहो द्वाभ्याम् प्राणेनैकेन द्वाभ्यां तु मन: समः।
द्वाभ्यामेव हि संयुक्तो विषमोऽपि सुखदु: खकृत्।।
ये दोहे हमें स्वस्थ जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को समझाते हैं और हमें आयुर्वेद के अनुसार जीने की राह दिखाते हैं।