अम्लता

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अम्लता (एसिडिटी) क्या है ?

अम्लता (एसिडिटी) एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है, जो पेट में एसिड के असंतुलन के कारण उत्पन्न होती है। इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को पेट में जलन, कब्ज, और हल्का-हल्का दर्द महसूस होता है। अक्सर इस स्थिति में खाना सही तरीके से पचता नहीं है, जिससे अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। हालांकि, अम्लता का उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से संभव है, जो बिना किसी दुष्प्रभाव के समस्या का समाधान कर सकती है।

अम्लता

अम्लता के लक्षण:

  1.  पेट में जलन: अम्लता की सबसे प्रमुख पहचान पेट में जलन का अनुभव होता है। यह जलन अक्सर खाना खाने के बाद बढ़ जाती है।
  2. उल्टी और खट्टी डकारें: अम्लता के कारण उल्टी और खट्टी डकारें आना आम बात है। इससे व्यक्ति को मिचली भी महसूस होती है।
  3. हल्का दर्द: पेट में हल्का-हल्का दर्द बना रहता है, जो कब्ज के कारण उत्पन्न होता है।
  4.  गैस बनना: पेट में गैस बनना और उसका सही से बाहर न निकल पाना भी अम्लता का एक लक्षण है।

अम्लता के कारण:

अम्लता

  1.  कब्ज: पेट में कब्ज रहना अम्लता का मुख्य कारण है। कब्ज के कारण पेट में एसिड का स्तर बढ़ जाता है।
  2.  मानसिक तनाव: अत्यधिक चिंता और मानसिक तनाव भी अम्लता का कारण बन सकते हैं। तनाव के कारण पेट में एसिड का स्राव बढ़ जाता है।
  3. खान-पान की आदतें: तेज मसालेदार भोजन, भूख से अधिक खाना, कॉफी, चाय, शराब, धूम्रपान और तम्बाकू का अधिक सेवन अम्लता को बढ़ावा देते हैं।
  4. अन्य कारण: गुटका, चीनी और नमक का अधिक सेवन, हाइड्रोक्लोरिक एसिड का अधिक स्राव आदि भी अम्लता के प्रमुख कारणों में शामिल हैं।

प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार:

  1.  संतुलित आहार: अम्लता का उपचार करने के लिए रोगी को गाजर, खीरा, पत्ता गोभी, लौकी और पेठे का अधिक सेवन करना चाहिए। ये सब्जियां पेट को ठंडक प्रदान करती हैं और एसिड को नियंत्रित करती हैं।
  2.  उपवास: सप्ताह में एक बार उपवास रखने से पाचनशक्ति पर दबाव कम पड़ता है, जिससे पाचन प्रणाली को आराम मिलता है और अम्लता कम होती है।
  3.  फल और सलाद का सेवन: एक से तीन सप्ताह तक केवल फल, सलाद और अंकुरित अनाज का सेवन करना चाहिए। इससे पाचन तंत्र को सुधारने में मदद मिलती है।
  4.  चीनी और नमक से परहेज: चीनी और नमक का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि ये पाचन तंत्र को प्रभावित करते हैं।
  5.  अच्छी तरह चबाकर खाना: भोजन को अच्छी तरह चबाकर खाने से पाचन क्रिया बेहतर होती है और अम्लता कम होती है।
  6.  नींबू, शहद और नारियल पानी: प्रतिदिन नींबू, शहद का पानी, नारियल पानी, फलों का रस और सब्जियों का रस अधिक पीना चाहिए।
  7. गाजर और पत्तागोभी का रस: गाजर और पत्तागोभी का रस अम्लता के लिए बहुत ही उपयोगी है। इनका नियमित सेवन अम्लता को कम करता है।
  8.  आंवला का सेवन: ताजे आंवले का रस या फिर आंवले का चूर्ण प्रतिदिन लेने से अम्लता कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है।
  9. हल्दी और शहद: थोड़ी सी हल्दी को शहद में मिलाकर चाटने से भी बहुत अधिक लाभ होता है। इसके बाद गुनगुना पानी पीना चाहिए।
  10.  तुलसी के पत्ते: रोज सुबह तुलसी के पत्ते चबाने से अम्लता नहीं होती है।
  11.  आसमानी बोतल का पानी: सूर्य की किरणों से बनाया गया आसमानी बोतल का पानी 2-2 घंटे पर पिलाने से लाभ मिलता है।
  12.  वज्रासन: भोजन करने के बाद वज्रासन करना चाहिए। यह आसन पाचनशक्ति को सुधारता है और अम्लता को कम करता है।
  13.  एनिमा और कुंजल क्रिया: रोजाना सुबह एनिमा क्रिया और कुंजल क्रिया करनी चाहिए, फिर स्नान कर सूखे तौलिये से शरीर को अच्छी तरह से रगड़ना चाहिए। इससे पाचन तंत्र सही तरीके से काम करने लगता है।
  14.  खुली हवा में साँसें लेना: खुली हवा में लम्बी-लम्बी साँसें लेने से शरीर को ताजगी मिलती है और पाचन तंत्र बेहतर होता है।
  15.  गीली मिट्टी की पट्टी: पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी करनी चाहिए और इसके बाद कटिस्नान करना चाहिए। फिर पेट को गर्म तथा ठंडा सेंक देना चाहिए।
  16.  गर्म पाद स्नान: रोगी को गर्म पाद स्नान कराना चाहिए और सप्ताह में एक बार गीली चादर लपेटनी चाहिए।
  17.  गर्म और ठंडी सिंकाई: तुरन्त आराम पाने के लिए पेट पर गर्म और ठंडी सिंकाई करनी चाहिए।
  18. ठंडी पट्टी: रात को सोते समय पेट पर ठंडी पट्टी लगानी चाहिए।
  19.  शौच और दांत साफ करना: सुबह उठकर नियमानुसार शौच जाना और दांत साफ करना चाहिए।
  20.  तांबे के बर्तन का पानी: रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रखना और सुबह उठकर वह पानी पीना चाहिए।

सावधानियाँ:

  1.  दूध का सेवन न करें: अम्लता रोग से पीड़ित रोगी को दूध का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि दूध अस्थायी रूप से जलन को शांत करता है लेकिन इसे पचाने के लिए पेट की पाचनशक्ति को तेज करना पड़ता है।
  2.  दवाइयों से बचें: दवाइयों से यह रोग ठीक तो हो सकता है लेकिन इससे अल्सर और अन्य गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा को प्राथमिकता देनी चाहिए।

अम्लता

प्राकृतिक चिकित्सा के इन उपायों से अम्लता को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। यह न केवल अम्लता के लक्षणों को कम करता है, बल्कि पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर ही अम्लता जैसी समस्याओं से लंबे समय तक बचा जा सकता है।

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